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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


संभोग से समाधि की ओर

जीवन-ऊर्जा रूपांतरण के विज्ञान पर ओशो द्वारा दिए गए अठारह प्रवचनों का संकलन

'जो उस मूलस्रोत को देख लेता है...., यह बुद्ध का वचन बड़ा अद्भुत है : 'वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है।' वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है।
जिसको मैने 'संभोग से समाधि की ओर' कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं।
एक तो रति है मनुष्य की-सी और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है?-या आभास होता है कम-से-कम। फिर एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो।
एक तो रति है-दूसरे से मिलने की। और एक रति है-अपने से मिलने की।
जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है।
संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga

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